Thursday, March 25, 2010

परिवर्त्तन


अध्याय - 1
झारखण्ड़ एक परिचय –
"झारखण्ड़" शब्द का शाब्दिक अर्थ झाड़-जंगल क्षेत्र से घिरा हुआ क्षेत्र है, और बिहार के छोटानागपुर एवं संथाल परगना कमीशनरी, बंगाल, बिहार तथा मध्य प्रदेश के राज्यों के समीपवर्त्ती क्षेत्र जो झाड़-जंगल से घिरे है, उस क्षेत्र को झारखण्ड़ क्षेत्र सामझा जाता रहा है।
हाँलाकि "झार" शब्द झारखण्ड़ क्षेत्र में बोली जाने वाली किसी भी जनजातीय भाषा या बोली का शब्द नहीं है, न ही किसी उन्नत भाषा हिन्दी या बंगला का शब्द है। "झार" शब्द का अपभ्रंश है। "झाड़" शब्द ही सही लगता है। "झाड़" का ही अर्थ झाड़ी जंगल होता है। "खण्ड़" का अर्थ तो क्षेत्र होता है। वस्तुतः "झारखण्ड़" शब्द "झारखण्ड़" था जो "कुड़माली" भाषा का शब्द प्रतीत होता है। "ड़" की जगह "र" लिखा जाने लगा, बोला जाने लगा। "कुड़माली भाषा" झारखण्ड़ क्षेत्र के बहुसंख्यक जनजाति "कुड़मी" की भाषा है।
पुरातन काल में छोटानागपुर पठार में अवस्थित क्षेत्र को ही झारखण्ड़ कहा जाता रहा था। ब्रिटिश शासन काल में आने से पहले इस क्षेत्र को "खुखरा" शब्द से भी संबोधित किया जाता था। सन् 1780 में झारखण्ड़ को "रामगढ़ पहाड़ी क्षेत्र" नाम से पुकारा गया और सन् 1833 में इसका नामकरण अंग्रेजी शासन के माध्यम से "दक्षिण पश्चिम सीमांत एजेन्सी" यानि साऊथ-वेस्ट फ्रंटियर एजेन्सी रहा। फिर इसे छोटानागपुर प्रमंड़ल का नाम दिया गया।
वस्तुतः झारखण्ड़ का नाम "अकबरनामा" में भी मिलता है तथा चैतन्य महाप्रभु ने भी इस क्षेत्र को जिसका हमने शुरु में ही जिक्र किया है यानि बंगाल, बिहार, उड़ीसा मध्य प्रदेश के सीमावर्त्ती क्षेत्र को झारखण्ड़ क्षेत्र कहा गया है।
वास्तव में छोटानागपुर पठार की भूमि 1912 ईस्वी से पहले बंगाल की प्रशासनिक सीमा के अन्दर थी। 1912 में बिहार एवं बंगाल दो प्रदेश बनाए गये, बंगाल से बिहार अलग करके। छोटानागपुर पठार के कुछ हिस्से बंगाल बिहार अलग करके। छोटानागपुर पठार के कुछ हिस्से बंगाल में ही रह गये। फिर 1936 ईस्वी मे बिहार से उड़ीसा को अलग किया गया। इस विभाजन के समय भी छोटानागपुर पठार का कुछ भाग उड़ीसा में शामिल कर लिया गया था। बिहार से उड़ीसा में शामिल कर लिया गया था। बिहार में छोटानागपुर कमिशनरी, संथाल परगना कमिशनरी ही झारखण्ड़ क्षेत्र के रुप में बच गये। बिहार, बंगाल, उड़ीसा तथा मध्यप्रदेश के राज्यों के गठन के फलस्वरुप वृहत् झारखण्ड़ प्रदेश चार टुकड़े में बँट गया।
झारखण्ड़ अलग राज्य का आन्दोलन इसी झारखण्ड़ क्षेत्र को इन प्रदेशों से अलग करके एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने का आन्दोलन रहा है। इस वृहत झारखण्ड़ क्षेत्र के दायरे में बिहार के अठारह जिले धनबाद, गिरिडीह, हजारीबाग, चतरा, गढ़वा, पलामू, कोडरमा, दुमका, देवघर, साहिबगमज, पाकुड़, गोड्डा पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, राँची, लोहरदग्गा, गुमला तथा उड़ीसा के सुन्दरगढ़, म्यूरभंज, क्योंझर तथा बंगाल के पुरुलिया, बाकुँड़ा, मेदनीपुर तथा मध्यप्रदेश के सरगूँजा, रायगढ़, सम्बलपुर जिले है।
क्षेत्रफल के हिसाब से वृहत झारखण्ड़ का क्षेत्रफल 3.75 लाख वर्गकिलोमीटर होगा तथा वृहत झारखण्ड़ की जनसंख्या 1981 की जनगणना के हिसाब से तीन करोड़ थी। सिर्फ बिहार में अवस्थित झारखण्ड़ का क्षेत्रफल 1.90 लाख वर्गकिलोमीटर है एवं 1981 की जनगणना के हिसाब से जनसंख्या 1.80 करोड़ थी। दौ हजार एक की जनगणना के हिसाब से वर्त्तमान झारखण्ड़ प्रदेश की आबादी पौने तीन करोड़ है।

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