Tuesday, March 16, 2010

परिवर्त्तन

परिवर्त्तन
प्रस्तावना ब्रह्मांड की यह व्यवस्था बड़ी व्यापक एवं विचित्र है। कहते हैं कि ब्रह्माड़ में कई सौर-मंडल है। कई सूर्य है।
हॉल ही में वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया है कि इस ब्रह्माड़ में, अंतरिक्ष में कई ऐसे शून्य हैं जिसके अन्दर अगर कोई ग्रह, तारे आदि चले जाएँ तो क्षण में उसके टुकड़े-टुकड़े हो जायें। एक ऐसे भी शून्य यानि “ब्लैक हॉल” का पता चला है जो हमारे सूर्य से भी पन्द्रह-सोलह अरब गुणा आकार में बड़ा है। सूर्य भी अगर उसमें घुस जाए तो वह भी धूल-कणों में परिवर्तित हो जाए।
पर बड़े आश्चर्य की बात है कि पूरी व्यवस्था, सौर मंड़लों की व्यवस्था, सूर्य, चॉद, तारे ग्रह सभी एक दूसरे के सहारे निर्भर है। सभी एक दूसरे के आकर्षण एवं विकर्षण के चलते एक दूसरे को बॉध कर एक निश्चित दूरी बनाकर, एक संतुलन कायम रखते हुए अपने-अपने रास्ते अपनी गति से चलते हैं।
इस व्यवस्था में अगर अचानक परिवर्त्तन आ जाए, तो बड़े विनाश की संभावना है। तो प्रश्न उठता है कि क्या इस व्यवस्था में परिवर्त्तन नहीं होगा ? परिवर्त्तन तो हो रहा है, पर उसमें भी एक संतुलन है, संतुलन कायम रखते हुए हो रहा है। परिवर्त्तन भी व्यवस्था का अंग है। रास्ते बदल रहे हैं, दूरियाँ घट रही है, दूरियाँ बढ़ रही है।
पृथ्वी पर भी परिवर्त्तन हुए है। इसके बनने के बाद से जीवों की उत्पत्ति से लेकर मानव के आर्विभाव से लेकर उसके पूरे सफर में परिवर्त्तन की ही कहानी है।
मनुष्यों ने भी अपनी-अपनी व्यवस्था बनाई है। साम्राज्यों की व्यवस्था, सामंतवादी युगों की व्यवस्था, आदि-आदि। रहन-सहन की व्यवस्था, धर्म, संस्कृति, भाषा आदि सभी तो एक प्रकार की व्यवस्था है।
तो क्या इन व्यवस्थाओं में परिवर्त्तन नहीं होता। होता है और होता हुआ आया भी है। व्यवस्थाओं में टकराव भी हुए हैं। व्यवस्थाओं में टकराव के चलते विनाशकारी-परिणाम भी सामने आते रहे हैं। कई व्यवस्थाएँ खत्म हो गई है। कई सभ्यताएँ-संस्कृतियाँ लूप्त हो चुकि है। यहाँ तक कि कई प्राणी भी लुप्त हो चुकें है।
व्यवस्था में अगर संतुलन बनाए रखते हुए परिवर्त्तन होता है तो वह सुखद एवं लाभकारी हो सकता है, पर अगर टकराव हो तो विनाशकारी परिणाम होते हैं यानि परिवर्त्तन दुखदायी एवं अहितकर होते हैं।
“परिवर्त्तन” झारखण्ड़ प्रदेश की छोटी व्यवस्था, इसकी संस्कृति-सभ्यता, इसके लोगों की सोच के साथ अन्य बड़ी व्यवस्थाओं के साथ टकराव की कहानी है। जाहिर है कि टकराव होगा तो परिणाम सुखद नहीं हो सकता।

No comments:

Post a Comment